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उजड़े चमन के धूल के फूल

बरेली-रामपुर राजमार्ग और उस पर स्वालेनगर से परसाखेड़ा तक छोटी-बड़ी फैक्ट्रियों का अनवरत सिलसिला। वक्त के साथ कुछ पर ताले लग गए तो कुछ नए प्लांट खड़े हो गए। गोया किस्से ही किस्से जो खत्म होने का नाम ही नहीं लेते।

वो अड्डे वो पेड़

बरेली, मेरा गृह नगर। डेढ़ दशक से भी ज्यादा हो गया, यहां मेहमान के जैसे ही आना-जाना हो पाया। अब जब फुसर्त से लौटा हूं तो मानो बचपन लौट आया है। पैंट की जेब में हाथ डाले आइटीआर कॉलोनी की तरफ निकल लिया। ओह!