शिल्पकार
Submitted by Gajendra on Sun, 08/23/2020 - 18:37

दरवाजे की दरार से छिटक
कमरे के फर्श पर पसर गया
धूप का एक धब्बा
मनुष्य की जिजीविषा-सा।
दरवाजे पर दस्तक देती हवा
शिल्पकार के छेनी-हथौड़े की
सधी चोट-सी।
धूप और हवा-
दोनों शिल्पकार हैं।