अडेडबाज

वो अड्डे वो पेड़

बरेली, मेरा गृह नगर। डेढ़ दशक से भी ज्यादा हो गया, यहां मेहमान के जैसे ही आना-जाना हो पाया। अब जब फुसर्त से लौटा हूं तो मानो बचपन लौट आया है। पैंट की जेब में हाथ डाले आइटीआर कॉलोनी की तरफ निकल लिया। ओह!