आइसोलेट

आइसोलेट

रीमा की नजरें बार-बार घड़ी पर जा टिकतीं। शेखर को अस्पताल गए हुए बीस घंटे से ज्यादा हो गए थे। अस्पताल से फोन आने पर डॉक्टर शेखर सुबह चार बजे ही अस्पताल चले गए थे। अब रात के नौ बज गए थे मगर शेखर का अभी तक कोई अता-पता नहीं था।
रीमा ने दो-तीन बार फोन भी किया था मगर शेखर का फोन नहीं उठा था। पांच-छह दिन से कोरोना के कारण शेखर की व्यस्तता बहुत बढ़ गई थी।
रीमा की निगाहें दरवाजे पर ही टिकी हुई थीं। जरा-सी आहट होती तो उसे लगता शेखर आ गए। वह बार-बार उठकर देखती।