कबीर दास जी के प्रसिद्ध दोहे Submitted by Gajendra on Sun, 08/09/2020 - 18:04 बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय। पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय। साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।Tags: कबीर दास को दोहेकबीर दास के प्रसिद्ध दोहेकबीर दास