सैल्यूट

गुलमर्ग पुलिस कन्ट्रोल रूम में एसपी सिटी जावेद अख्तर आज का समाचारपत्र पढ़ रहे थे। सुबह के ग्यारह बज गए थे मगर अभी तक सूर्य देवता के दर्शन नहीं हुए थे। चारों तरफ बर्फबारी अब भी जारी थी।
एक कांस्टेबिल कॉफी लाकर एसपी सिटी की टेबल पर रख गया। वे कॉफी पीने लगे, तभी उनके पास रखी टेलीफोन की घन्टी बज उठी। जावेद अख्तर ने फोन का चोगा उठाते हुए कहा, “एसपी सिटी जावेद अख्तर हेयर।“
“सर! मैं बीएससी का छात्र राशिद अनवर बोल रहा हूँ। सर मैं और मेरा दोस्त शाहिद रजा एनसीसी की परेड से लौट रहे थे। यहाँ सैलानी रोड के किनारे एक सैनिक बर्फ में दबा पड़ा है। उसकी सांस चल रही है। सर प्लीज आप यहां जल्दी आ जाइए जिससे उसे अस्पताल पहुँचाया जा सके।“
“ठीक है तुम लोग वहीं रुको। मैं तुरन्त वहां पहुँच रहा हूँ।“
पन्द्रह मिनट में जावेद अख्तर वहां पहुँच गए। तब तक राशिद और शाहिद ने सैनिक के शरीर पर जमी बर्फ को हटा दिया था। दोनों उसकी हथेलियों और तलवों को रगड़ रहे थे जिससे ठण्ड का असर कुछ कम हो जाए।
जावेद अख्तर ने सिपाहियों को आदेश दिया कि वे फटाफट सैनिक को जिप्सी की पिछली सीट पर लिटाएं।
अनवर और शाहिद भी जिप्सी में बैठ गए। फिर तत्काल जावेद अख्तर मिलेटरी अस्पताल पहुँचे। डॉक्टर सैनिक का परीक्षण करने लगे। ठण्ड से उसका पूरा शरीर अकड़ गया था और हालत काफी गंभीर थी।
एक घन्टे के लगातार उपचार के बाद सैनिक को होश आ गया। डॉक्टरों ने सुकून की सांस ली। उन्होंने कहा, “एसपी साहब आपने समय पर अस्पताल लाकर इस सैनिक को बचा लिया। इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
“डॉक्टर साहब, इस धन्यवाद के असली हकदार यह दोनों छात्र हैं जिन्होंने समय पर हमें इस सैनिक के बारे में सूचना दी।“ जावेद अख्तर बोले। फिर उन्होंने दोनों की ओर देखते हुए कहा, “मैं तुम दोनों का नाम सरकार के पास वीरता पुरस्कार के लिए भेजूँगा।“
“नहीं सर! हमने यह काम पुरस्कार के लिए नहीं किया है। यह तो हमारा फर्ज था। पुरस्कार तो इस बहादुर सैनिक को मिलना चाहिए जो हड्डियों तक को जमा देने वाली इस भीषण सर्दी में भी वतन की सुरक्षा में पूरी मुस्तैदी से तैनात था।“ फिर वे दोनों छात्र खड़े हो गए और बोले,“हम दोनों इस बहादुर सैनिक को स्टैन्डिंग सैल्यूट देते हैं।“ दोनों ने खड़े होकर पूरे सम्मान के साथ उस सैनिक को सैल्यूट किया। जावेद अख्तर भी अपने को रोक नहीं पाए और उन्होंने भी सैनिक को स्टैन्डिंग सैल्यूट दिया।
यह देखकर वहां मौजूद सेना के डॉक्टरों के चेहरे पर एक अनोखी चमक आ गई।