बिहारी जी केदर्शन

निःस्वार्थ भक्त को हुए बिहारी जी केदर्शन

वृंदावन में एक भक्त को बिहारी जी के दर्शन नहीं हुए। लोग कहते हैं ‘‘अरे! बिहारी जी सामने ही तो खड़े हैं। पर वह कहता है कि भाई। मेरे को तो नहीं दिख रहे।’’इस तरह तीन दिन बीत गए पर दर्शन नहीं हुए।
उस भक्त ने ऐसा विचार किया कि सबको दर्शन होते हैं और मुझे नहीं होते, तो मैं बड़ा पापी हूं कि ठाकुर जी दर्शन नहीं देते। अत: यमुना जी में डूब जाना चाहिए। ऐसा विचार करके रात्रि के समय वह यमुना जी की तरफ चला। वहां यमुना जी के पास एक कुष्ठ रोगी सोया हुआ था।