भारतेंदु हरिश्चंद्र की कहानी- अंधेर नगरी चौपट राजा

अंधेर नगरी चौपट राजा

मूल रूप से ये कहानी भारतेंदु हरिश्चंद्र के एक नाटक “अंधेर नगरी चौपट्ट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा” का अंश हैं।
------------------------------------------------------------------------------------------------------------
बहुत समय पहले की बात है। कोशी नदी के किनारे एक संत अपने शिष्य के साथ कुटिया बनाकर रहते थे। दोनों का ज्यादातर समय भजन-कीर्तन, ईश्वर की आराधना तथा पहलवानी में व्यतीत होता था।