अंधेर नगरी चौपट राजा
Submitted by Gajendra on Sun, 08/16/2020 - 19:18मूल रूप से ये कहानी भारतेंदु हरिश्चंद्र के एक नाटक “अंधेर नगरी चौपट्ट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा” का अंश हैं।
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बहुत समय पहले की बात है। कोशी नदी के किनारे एक संत अपने शिष्य के साथ कुटिया बनाकर रहते थे। दोनों का ज्यादातर समय भजन-कीर्तन, ईश्वर की आराधना तथा पहलवानी में व्यतीत होता था।