कहानी

अंधेर नगरी चौपट राजा

मूल रूप से ये कहानी भारतेंदु हरिश्चंद्र के एक नाटक “अंधेर नगरी चौपट्ट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा” का अंश हैं।
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बहुत समय पहले की बात है। कोशी नदी के किनारे एक संत अपने शिष्य के साथ कुटिया बनाकर रहते थे। दोनों का ज्यादातर समय भजन-कीर्तन, ईश्वर की आराधना तथा पहलवानी में व्यतीत होता था।

पूस की रात

हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय कहानीकार-उपन्यासकार प्रेमचंद की 31 जुलाई को जयंती है। हिंदी साहित्य में उनका क्या स्थान है इसे इसी से समझा जा सकता है कि हिंदी कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936 तक के कालखंड को “प्रेमचंद युग” कहा जाता है। प्रस्तुत है किसान के श्रम, संघर्ष और दीनता का मर्मस्पर्शी चित्रण करती उनकी कालजयी कहानी- पूस की रात।
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मंत्र

हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय कहानीकार-उपन्यासकार प्रेमचंद की 31 जुलाई को जयंती है। हिंदी साहित्य में उनका क्या स्थान है इसे इसी से समझा जा सकता है कि हिंदी कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936 तक के कालखंड को “प्रेमचंद युग” कहा जाता है। प्रस्तुत है मानवीय संवेदनाओं को अभिव्यक्त करती उनकी मर्मस्पर्शी कालजयी कहानी- मंत्र।
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ईदगाह

रमज़ान के पूरे तीस रोज़ के बाद आज ईद आई है। कितना मनोहर ; कितना सुहावना प्रभात है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना। शीतल है, मानों संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गाँव में कितनी हलचल है।' ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। किसी के कुरते में बटन नहीं है। पड़ोस के घर से सुई-तागा लेने दौड़ा जा रहा है। किसी के जूते कड़े हो गये हैं, उनमें तेल डालने के लिए तेली के घर भागा जाता है। जल्दी-जल्दी बैलों की सानी-पानी दे दें। ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जायेगा। तीन कोस का पैदल रास्ता, फिर सैकड़ों आदमियों से

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